नमस्कार या अभिवादन करने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। जब भी हम किसी से मिलते हैं तो नमस्कार से ही बात प्रारंभ होती है। आजकल नमस्कार का अर्थ हैलो-हाए से समझा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस प्रथा से भी कई शकुन जुड़े हुए हैं। काफी लोग शकुन और अपशकुन की मान्यताओं को अंधविश्वास मानते हैं लेकिन इनका प्राचीनकाल से गहरा महत्व रहा है।
यदि आज किसी जरूरी काम के लिए घर से निकल रहे हों और इसी दौरान कोई कर्म से ब्राह्मण व्यक्ति, कोई ज्ञानी-विद्वान व्यक्ति या कोई कुंवारी कन्या नमस्कार करती है तो इसे शुभ शकुन समझना चाहिए। पुराने समय से ही ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मण व्यक्ति को पवित्र और सम्मानीय माना गया है। इनके द्वारा यदि किसी को आशीर्वाद दिया जाता है तो निश्चित ही वह फलित अवश्य होता है। इसी प्रकार यदि कोई ज्ञानी या विद्वान व्यक्ति नमस्कार करता है तो यह भी शुभ शकुन है।
शास्त्रों के अनुसार कन्या को पवित्र और पूजनीय माना गया है। छोटी कन्याओं को साक्षात् देवी मां का रूप माना जाता है। अत: इनके द्वारा यदि नमस्कार किया जाता है तो यह बहुत शुभ शकुन है। किसी कार्य पर जाते समय ऐसा हो तो समझना चाहिए आपका कार्य अवश्य ही सफल हो जाएगा।
source:bhaskat.com
यदि आज किसी जरूरी काम के लिए घर से निकल रहे हों और इसी दौरान कोई कर्म से ब्राह्मण व्यक्ति, कोई ज्ञानी-विद्वान व्यक्ति या कोई कुंवारी कन्या नमस्कार करती है तो इसे शुभ शकुन समझना चाहिए। पुराने समय से ही ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मण व्यक्ति को पवित्र और सम्मानीय माना गया है। इनके द्वारा यदि किसी को आशीर्वाद दिया जाता है तो निश्चित ही वह फलित अवश्य होता है। इसी प्रकार यदि कोई ज्ञानी या विद्वान व्यक्ति नमस्कार करता है तो यह भी शुभ शकुन है।
शास्त्रों के अनुसार कन्या को पवित्र और पूजनीय माना गया है। छोटी कन्याओं को साक्षात् देवी मां का रूप माना जाता है। अत: इनके द्वारा यदि नमस्कार किया जाता है तो यह बहुत शुभ शकुन है। किसी कार्य पर जाते समय ऐसा हो तो समझना चाहिए आपका कार्य अवश्य ही सफल हो जाएगा।
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ऐसे समय पर नमस्कार करे तो समझ लें कि...
Reviewed by naresh
on
Saturday, April 28, 2012
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