आज की भागदौड भरी जिंदगी में पेट की बीमारियों से परेशान होने वाले लोगों की संख्या सब से ज्यादा होती है। इस समस्या से परेशान लोग यदि अपनी डाइट में प्रचूर मात्रा में दही को शामिल करें तो अच्छा होगा। दही का नियमित सेवन करने से शरीर कई तरह की बीमारियों से मुक्त रहता है। दही में अच्छी किस्म के बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं लेकिन इसके लिए जरुरी है दही के सेवन के समय कुछ बातों का ध्यान रखना। आयुर्वेद में माना गया है कि नीचे लिखी बातों को ध्यान में रखकर दही का सेवन करने पर वह शरीर के लिए अमृत के समान होता है।
- दही हमेशा ताजी ही प्रयोग करनी चाहिए।
- रात्रि में दही के सेवन को हल्का काला नमक,शक्कर या शहद के साथ ही किया जाना चाहिए।
- मांसाहार के साथ दही के सेवन को विरुद्ध माना गया है।
- दही दस्त या अतिसार के रोगियों में मल को बांधनेवाली होती है,पर सामान्य अवस्था में अभिस्यंदी अर्थात कब्ज कर सकती है।
- ग्रीष्म ऋतु में जब लू चल रही हो तब दही क़ी लस्सी ऊर्जा प्रदान करनेवाली तथा शरीर में जलीयांश की कमी को दूर करती है।
- नित्य सेवन से दही का प्रभाव शरीर के लिए सात्म्य होकर गुणकारी हो जाता है।
- मधुमेह से पीडि़त रोगियों में दही का सेवन संयम से करना चाहिए।
- दही का सेवन कुछ आयुर्वेदिक औषधियों में सह्पान के साथ कराने का भी विधान है, जिससे दवा का प्रभाव बढ़ जाता है।
- बच्चों में ताज़ी दही पेट सम्बंधी विकारों को दूर करती है। - दही एवं कच्चे केले को पकाकर आंवयुक्त अतिसार (म्युकोइड स्टूल ) को रोका जा सकता है। - जब खांसी,जुखाम,टांसिल्स एवं, सांस की तकलीफ हो तब दही का सेवन न करें तो अच्छा।
- दही सदैव ताज़ी एवं शुद्ध घर में मिटटी के बर्तन क़ी बनी हो तो अत्यंत गुणकारी होती है।
- त्वचा रोगों में दही का सेवन सावधानी पूर्वक चिकित्सक के निर्देशन में करना चाहिए।
- मात्रा से अधिक दही के सेवन से बचना चाहिए।
- अर्श (पाईल्स ) के रोगियों को भी दही का सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए। तो ऐसी है दही ,बड़ी गुणकारी,रोगों में दवा पर सावधानी से करें प्रयोग।
source:religion.bhaskar.com/article
- दही हमेशा ताजी ही प्रयोग करनी चाहिए।
- रात्रि में दही के सेवन को हल्का काला नमक,शक्कर या शहद के साथ ही किया जाना चाहिए।
- मांसाहार के साथ दही के सेवन को विरुद्ध माना गया है।
- दही दस्त या अतिसार के रोगियों में मल को बांधनेवाली होती है,पर सामान्य अवस्था में अभिस्यंदी अर्थात कब्ज कर सकती है।
- ग्रीष्म ऋतु में जब लू चल रही हो तब दही क़ी लस्सी ऊर्जा प्रदान करनेवाली तथा शरीर में जलीयांश की कमी को दूर करती है।
- नित्य सेवन से दही का प्रभाव शरीर के लिए सात्म्य होकर गुणकारी हो जाता है।
- मधुमेह से पीडि़त रोगियों में दही का सेवन संयम से करना चाहिए।
- दही का सेवन कुछ आयुर्वेदिक औषधियों में सह्पान के साथ कराने का भी विधान है, जिससे दवा का प्रभाव बढ़ जाता है।
- बच्चों में ताज़ी दही पेट सम्बंधी विकारों को दूर करती है। - दही एवं कच्चे केले को पकाकर आंवयुक्त अतिसार (म्युकोइड स्टूल ) को रोका जा सकता है। - जब खांसी,जुखाम,टांसिल्स एवं, सांस की तकलीफ हो तब दही का सेवन न करें तो अच्छा।
- दही सदैव ताज़ी एवं शुद्ध घर में मिटटी के बर्तन क़ी बनी हो तो अत्यंत गुणकारी होती है।
- त्वचा रोगों में दही का सेवन सावधानी पूर्वक चिकित्सक के निर्देशन में करना चाहिए।
- मात्रा से अधिक दही के सेवन से बचना चाहिए।
- अर्श (पाईल्स ) के रोगियों को भी दही का सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए। तो ऐसी है दही ,बड़ी गुणकारी,रोगों में दवा पर सावधानी से करें प्रयोग।
source:religion.bhaskar.com/article
दही खाते समय साधारण बातें याद रखें..
Reviewed by naresh
on
Friday, March 16, 2012
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दही के बारे में बड़ी अच्छी जानकारी मिली. हमतो पूरे साल भर ही दही खाने के आदी हैं.
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