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नया फतवा- नशे की हालत दिया गया तलाक भी मान्य

लखनऊ। अगर पति नशे की हालत में तलाक देता है तो वह भी मान्य होगा। यह फतवा जारी करते हुए प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुलउलूम देवबंद ने कहा है कि नशे की हालत में तथा टेलीफोन पर दिये गये तलाक को मुकम्मल माना जाएगा। देवबंद के इस फतवे के बाद मुस्लिम समुदाय में हड़कम्प मच गया है हालांकि कुछ संगठन इसे गलत करार देते हैं लेकिन देवबंद के प्रमुख इसे सही मानते हैं।

दारुल उलूम देवबंद के फतवा विभाग ने 13 मार्च को दिये गये अपने फतवे में यह बात कही है। एक व्यक्तिने सवाल पूछा था कि क्या शराब के नशे में टेलीफोन पर दिया गया तलाक इस्लामी कानून के नजरिये से वैध है, अगर है तो ऐसे हालात में क्या किया जा सकता है। इस फतवे के सम्बन्ध में उसने कहा है कि उसकी बहन की शादी ढाई साल पहले हुई थी, निकाह के बाद उसे पता लगा कि उसका पति शराब पीता था।

हाल में उसके पति ने नशे में मोबाइल फोन पर उसकी बहन से कहा ''मैं तुझे तलाक देता हूं, तीन बार तलाक, तलाक, तलाक। सवाल करने वाले ने कहा कि अब उसका बहनोई अपनी गलती का एहसास होने के बाद मामले को सुलझाना चाहता है। ऐसे में शरयी नुत्तेनजर से क्या वह उसकी बहन को बीवी की हैसियत से रख सकता है।

इस सवाल के जवाब में कहा है कि नशे में भी फोन पर तीन बार तलाक कहने से तलाक मुकम्मल माना जाएगा और उन हालात में शौहर के लिये उसकी बीवी 'हराम' हो जाती है। जवाब में कहा गया है कि जायज 'हलाला' के बिना कोई व्यक्ति अपनी परित्यक्य पत्नी से दोबारा शादी नहीं कर सकता। इसके लिये उस औरत को 'इद्दत' के दिन पूरे करने के बाद किसी दूसरे मर्द से शादी करनी होगी और फिर उससे तलाक लेकर दोबारा 'इद्दत' पूरी करने के बाद वह फिर से अपने पहले शौहर से निकाह कर सकती है।
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नया फतवा- नशे की हालत दिया गया तलाक भी मान्य नया फतवा- नशे की हालत दिया गया तलाक भी मान्य Reviewed by naresh on Thursday, March 29, 2012 Rating: 5

7 comments:

  1. yeh vo agyaani hai jinhone quraan shrif ki sure annisaa aaayt me tlaaq ke triqe nhin pdhe hai or quraan se bdhkar shaayd koi molana nhin hotaa is mamale me suprim kort ne shamim aara vaale maamle me saaf triqe se fesla diya hai jo pure desh me laagu hai jisme smjhaaysh ke purv diyaa gyaa koi bhi tlaaq amaany hai .....akhtar khan akela kota rajsthan

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  2. शराब की हालत तो वैसे भी इस्लाम में ऐसी है हालातों में से एक है जिसमें औरतों के लिए मर्दों से तलाक लेने का हक है... शराबी व्यक्ति वैसे ही औरत का पति रहने के काबिल नहीं है...

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  3. अख्तर भाई, शाहनवाज भाई,
    देवबंद के फतवे की अपील कहीं है या नहीं? यदि है तो उस अदालत का नाम बताएँ। इन से देश के उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय बेहतर है या नहीं? यदि ऐसा है तो इस तरह के फतवों पर कानूनी तौर पर पाबंदी क्यों नहीं लगा देनी चाहिए?

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  4. द्विवेदी जी आप गलतियों से ठसाठस भरे हुए दुनियां के कानूनों को इस्लामिक कानूनों से ऊपर मानना चाहें तो आपको पूरी तरह छूट है, परन्तु अपनी सोच को दूसरों की सोच पर थोपने का अधिकार किसी को भी नहीं है.

    हमें देवबंद या किसी संस्था के द्वारा दिए हुए फतवों के विरुद्ध ऊपर की किसी और संस्था पर जाने की कोई भी ज़रूरत नहीं, तो क्यों भेजना चाहते हैं?

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  5. ye fatve aaj apni prasangikta kho chuke hain .bharatiy kanoon ne talaq ke jo karan diya hain unhe hi sabhi dharmon me manyata milni chahiye aur muslim samaj ko apni soch thodi pragtisheel banani chahiye.

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  6. kya kahun har halat men prbhavit to aurat hi hui .

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  7. ---स्थानीय फ़तवों की खास मान्यता नहीं होनी चाहिये ...यह कोई कबीलों का देश नहीं है..

    ---हर फ़तवे को देश की अदालत में भेजने का कायदा होना चाहिये....अदालत स्वयं ही देशभर/ दुनिया भर के धार्मिक गुरुओं के परामर्श से करके उचित निर्णय लेगी.....
    ----फ़िर तो इस्लाम में शराव पीना, नशा करना भी जायज होगा...

    ----इस सब मे पिसना तो औरत को ही है...

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