सदियों से विवाहित हिंदू महिलाएं मांग में सिंदूर लगाती रही हैं। कहते हैं माथे का सिंदूर सुहागन स्त्री के सौभाग्य को हमेशा बनाए रखता है। एक प्रचलित मान्यता के अनुसार, देवी पार्वती ने अपने पति के सम्मान के लिए अपने जीवन की आहुति दी थी। जिसके कारण सिंदूर देवी पार्वती का प्रतीक है। माना जाता है कि जो महिला अपने माथे पर सिंदूर लगाती है, देवी पार्वती का हाथ उसके सिर पर हमेशा बना रहता है। वे हर समय उसके पति की रक्षा करती हैं।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार
मेष राशि का स्थान माथे पर होता है। मंगल, मेष राशि का स्वामी ग्रह है, क्योंकि मंगल ग्रह का रंग लाल होता है। इसे शुभ माना जाता है। इसे सौभाग्य का संकेत भी माना जाता है। उत्तर भारत में नवरात्रि व संक्राति जैसे त्योहारों पर विवाहित स्त्रियों के लिए सिंदूर लगाना बहुत अनिवार्य है। इससे पता चलता है कि सिंदूर धार्मिक कारणों की वजह से भी बहुत महत्व रखता है।
सिंदूर लगाने का वैज्ञानिक कारण
सिर के मध्य भाग में सिंदूर लगाया जाता है। इस बिंदु को महत्वपूर्ण और संवेदनशील माना जाता है। इस जगह सिंदूर लगाने से दिमाग हमेशा सतर्क और सक्रिय रहता है। दरअसल, सिंदूर में मरकरी होता है। ये अकेली ऐसी धातु है, जो लिक्विड रूप में पाई जाती है। यही वजह है कि सिंदूर लगाने से शीतलता मिलती है और दिमाग तनावमुक्त रहता है। सिंदूर शादी के बाद लगाया जाता है, क्योंकि माना जाता है शादी के बाद ही महिला की जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं और दिमाग को शांत और व्यवस्थित रखना जरूरी हो जाता है। इसलिए सिंदूर लगाने की प्रथा बनाई गई है।
महिलाओं को शादी के बाद इस कारण लगाना होता है सिंदूर
Reviewed by naresh
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Monday, March 02, 2015
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