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दुख - सुख

एक बार मैं और मेरा दोस्त पैदल घर जा रहे थे,और जिंदगी के बारे में बातें कर रहे थे।मेरा दोस्त बता रहा था कि एक चिंता दूर होती है तो दूसरी पैदा हो जाती है ।क्या सारी उम्र ऐसे ही निकल जायेगी। हमारी बातें घास काट रही एक बजुर्ग महिला सुन रही थी। फिर उसने हमारी बात काटते हुये बोला:
" मुन्नुओ दुख और सुख भाई -2 होते हैं ,ये साथ -2 ही चलते हैं "।
आज कभी जब दुख आता है तो मुझे उस महिला की बात याद आ जाती है और दुख कम हो जाताहै ।फिर ये एहसास होता कि कोई बात नहीं इसके बाद सुख भी आयेगा।
आपका क्या कहना है .................
दुख - सुख दुख - सुख Reviewed by naresh on Monday, September 24, 2012 Rating: 5

2 comments:

  1. अच्छी भाव अभिव्यक्ति .... दुःख और सुख जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिये हैं ...

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  2. महेंद्र मिश्रा जी ,धन्यवाद

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