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आयुर्वेद में शराब

आयुर्वेद में शराब की तुलना सुरा से की गई है। इसकी कम डोज हमारे हार्ट डाइजेशन और यूरिनरी सिस्टम को ठीक करती है और दिमाग को तनाव से मुक्त करती है। सुरा की थोड़ी मात्रा उत्तेजक (स्टिमुलेट) और ज्यादा मात्रा शामक (डिप्रेसेंट) का काम करती है। यही कारण है कि शादी पार्टी वगैरह में जो लोग कम मात्रा में शराब पीते हैं वे अच्छी तरह डांस और मस्ती करते नजर आते हैं और जो लोग इसकी ज्यादा मात्रा ले लेते हैं वे कोने में लुढ़के दिखाई देते हैं। 

-शराब को वात पित्त और कफ के साथ जोड़ा गया है। वात प्रकृति के पतले-दुबले लोगों को शराब जल्दी चढ़ जाती है। पित्त प्रकृति के लोगों को शराब पीने से उलटियां आने लगती हैं और कफ प्रकृति के लोगों को शराब पीने से खास नुकसान नहीं होता। 

-आयुर्वेद में भी 10-11 फीसदी ऐल्कॉहॉल वाली शराब की मात्रा 20 एमएल तक ही लेना बताया गया है। इसकी तासीर गर्म और खुश्क होने के कारण कम मात्रा में पीने पर यह जुकाम और सर्दी में फायदा करती है। बड़ों को 20 एमएल और बच्चों को 5 एमएल (एक छोटा चम्मच) शराब दी जा सकती है। 

-शराब से बेहतर आयुर्वेद में आसव और अरिष्ट को माना जाता है जिनमें 9 से 12 फीसदी तक प्राकृतिक रूप से ऐल्कॉहॉल तो रहता ही है साथ ही कारगर इलाज करने में भी ये सहायक हैं। अगर किसी को दिल की बीमारी है तो वह अर्जुनारिष्ट ले सकता है पेट और लिवर की तकलीफ में कुमारीआसव और पुनर्नवारिष्ट का सेवन कर सकता है। दिमाग को तेज करने और मेमरी बढ़ाने के लिए अश्वगंधारिष्ट और सारस्वतारिष्ट ताकत बढ़ाने के लिए दाक्षारिष्ट ले सकते हैं। जिन बच्चों को खांसी-जुकाम रहता है उनके लिए वासारिष्ट है। यह फेफड़ों को ताकत प्रदान करता है। जोड़ों में दर्द और सूजन के लिए दशमूलारिष्ट दी जाती है। यह महिलाओं को डिलिवरी के बाद भी दी जाती है। इसी तरह किडनी के लिए चंदनासव जिन्हें क्रोनिक फीवर (बुखार) रहता है उनके लिए अमृतारिष्ट जैसी दवाएं आयुर्वेद में हैं। 
नोट: इन सभी दवाओं का इस्तेमाल आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह के बाद ही करें। 

सायकायट्रिस्ट की सलाह 
कुछ घंटों या लम्हों के लिए शराब के अस्थायी और क्षणिक फायदे हो सकते हैं लेकिन लत लगने पर यह जिंदगी बर्बाद कर देती है। हालांकि शराब के सेवन से 60-70 फीसदी जनता लत तक नहीं पहुंचती। मुश्किल यह है कि 100 लोगों में कौन-से 10 या 15 लोग लत के शिकार हो जाएंगे यह बताना मुश्किल है। ऐसे में सभी को सलाह दी जाती है कि वे शराब के खतरों से सावधान रहें। लेकिन ऐसे लोग जिन्हें मेडिकल या मानसिक कारणों से लत लगने की आशंका ज्यादा हो वे ज्यादा सावधानी बरतें। मसलन अगर परिवार में किसी को शराब की लत है या अगर कोई शख्स हीनभावना या मानसिक बीमारी से पीडि़त है तो ऐसे लोगों में शराब की लत लगने की आशंका ज्यादा होगी। 

रखें ध्यान 
-जो शराब न पीते हों वे बिल्कुल न पीएं। जो पीते हों वे कम मात्रा में पीएं और जिन्हें मेडिकली पीनी है वे बिल्कुल कम मात्रा में पीएं। अगर लत की स्थिति तक पहुंच चुके हैं तो इलाज के लिए जाने में बिल्कुल झिझक न महसूस करें। 

-सेहतमंद शख्स एक घंटे में ज्यादा-से-ज्यादा 30 एमएल शराब (विस्की जिन) पी सकता है हालांकि 20 एमएल पीना बेहतर है। 

-आमतौर पर एक स्मॉल पेग 30 एमएल का और पटियाला पेग 60 एमएल का होता है। वैसे दुनिया भर में 30 एमएल का पेग ही मान्य है लेकिन अमेरिका में 45 एमएल के पेग का चलन है। 

-कई बार लोग सस्ती शराब के चक्कर में मिथनॉल (कच्ची शराब) पी जाते हैं। यह सबसे ज्यादा खतरनाक है और इससे कई बार मौत तक हो जाती है। इसलिए कभी भी कच्ची शराब न पिएं। 

-फैटी लिवर दिल के मरीजों डायबीटीज और कॉलेस्ट्रोल के मरीजों को डॉक्टर से बिना पूछे शराब नहीं पीनी चाहिए। 

शराब और सेक्स 
जाने-माने सेक्स रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश कोठारी के मुताबिक शराब सेक्स के लिए जहर है। यह बात और है कि कुछ लोगों में थोड़ी मात्रा में शराब पीने के बाद चिताएं थोड़ी कम हो जाती हैं और वे ज्यादा आत्मविश्वास से सहवास करते हैं। लेकिन अगर शराब की मात्रा बढ़ जाए तो प्राइवेट पार्ट में तनाव आना ही बंद हो जाता है। लंबे समय तक अगर कोई शख्स शराब का सेवन करता है तो उसकी ब्लड वेसल्स नर्व्स और लिवर पर उलटा असर होता है। नतीजा यह होता है कि वह शख्स नामर्दी का शिकार हो जाता है। ऐसी नामर्दी का कोई इलाज भी नहीं हो पाता। मशहूर नाटककार शेक्सपियर ने कहा है कि शराब कामेच्छा तो जगाती है लेकिन काम को बिगाड़ती है। यह बात सौ फीसदी सच है। अगर लंबे समय तक शराब का सेवन किया जाए तो उत्तेजना में कमी आ सकती है। शराब के ज्यादा सेवन से महिलाओं में पीरियड्स में गड़बड़ी हो सकती है। इसके अलावा उनके लिवर और नर्व्स में खराबी हो सकती है। डॉ. कोठारी अपने मरीजों को हमेशा सलाह देते हैं कि अगर आपको बड़े स् (सेक्स) को सही सलामत रखना हो तो तीन छोटे स् शराब स्मोकिंग और स्ट्रेस से दूर रहें। 


source:navbharattimes
आयुर्वेद में शराब आयुर्वेद में शराब Reviewed by naresh on Friday, March 09, 2012 Rating: 5

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