आज फिर से हुस्न
इश्क के आगोश में आने को बेताब है
शायद फिर से कोई जवान मोहब्बत परवान चढ़ेगी
शायद फिर से कोई जवान मोहब्बत परवान चढ़ेगी
*तेरा ख़याल दिल से.. मिटाया
नहीं अभी...
बेदर्द मैं ने तुझ को.. भुलाया नहीं अभी ;
कल तूने मुस्कुरा के.. जलाया था ख़ुद जिसे...
सीने का वो चराग़.. बुझाया नहीं अभी ;
बेदर्द मैं ने तुझ को.. भुलाया नहीं अभी ;
कल तूने मुस्कुरा के.. जलाया था ख़ुद जिसे...
सीने का वो चराग़.. बुझाया नहीं अभी ;
गर्दन को आज भी.. तेरे बाहों की याद है...
चौखट से तेरी.. सर को.. उठाया नहीं अभी ;
बेहोश होके जल्द तुझे.. होश आ गया...
मैं बदनसीब होश में.. आया नहीं अभी..."
.................................... ' अखिल '
हुस्न इश्क के आगोश में
Reviewed by naresh
on
Saturday, October 19, 2013
Rating:
No comments: