हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मकान मालिकों और किराएदारों के बीच इमारत के निर्माण और दोबारा निर्माण के आधार पर होने वाले विवाद में किराएदारों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि जब तक मकान मालिक मकान का नक्शा संबंधित निगम अथवा स्थानीय निकायों से नियमों के अनुसार पास नहीं करवा लेता तब तक किराएदार को घर से निकाला नहीं जा सकता।
न्यायाधीश वीके शर्मा ने अपने आदेशों में कहा है कि निर्माण और दोबारा निर्माण के आधार पर निकाले गए किराएदार का यह हक है कि वह इमारत के दोबारा निर्माण होने पर नई शर्तो के साथ मकान में बतौर किराएदार उतने ही हिस्से में रहे जितना क्षेत्र उसके पास पहले मौजूद था।
न्यायालय ने कहा कि नई शर्तें किराएदार और मकान मालिक के बीच आपसी रजामंदी से ही तय कि जा सकेंगी। मकान मालिकों की ओर से बिल्डिंग के दोबारा निर्माण की इजाजत पर न्यायालय ने कहा कि इमारत की उम्र और स्थिति कोई विशेष महत्व नहीं रखती बशर्ते मकान मालिक अदालत अथवा संबंधित अधिकारियों को यह संतुष्ट कराए कि उसके पास मकान निर्माण के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं।
किराएदारों की ओर से यह आशंका व्यक्त की जाती रही है कि यदि मकान मालिक इमारत को गिराने के बाद जानबूझ कर नई इमारत लंबे अरसे तक न बनाए। नया मकान बनने पर मुंहमांगे दाम पर मकान किराए पर दे तो कानून में सरकार की ओर से लाया गया बदलाव किराएदारों के हक में नहीं जाता। न्यायालय के समक्ष यह परिस्थितियां न होने के कारण न्यायालय ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। इस प्रकार की आशंका से निपटने के लिए विधानपालिका का दरवाजा खटखटाया जा सकता है।
न्यायाधीश वीके शर्मा ने अपने आदेशों में कहा है कि निर्माण और दोबारा निर्माण के आधार पर निकाले गए किराएदार का यह हक है कि वह इमारत के दोबारा निर्माण होने पर नई शर्तो के साथ मकान में बतौर किराएदार उतने ही हिस्से में रहे जितना क्षेत्र उसके पास पहले मौजूद था।
न्यायालय ने कहा कि नई शर्तें किराएदार और मकान मालिक के बीच आपसी रजामंदी से ही तय कि जा सकेंगी। मकान मालिकों की ओर से बिल्डिंग के दोबारा निर्माण की इजाजत पर न्यायालय ने कहा कि इमारत की उम्र और स्थिति कोई विशेष महत्व नहीं रखती बशर्ते मकान मालिक अदालत अथवा संबंधित अधिकारियों को यह संतुष्ट कराए कि उसके पास मकान निर्माण के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं।
किराएदारों की ओर से यह आशंका व्यक्त की जाती रही है कि यदि मकान मालिक इमारत को गिराने के बाद जानबूझ कर नई इमारत लंबे अरसे तक न बनाए। नया मकान बनने पर मुंहमांगे दाम पर मकान किराए पर दे तो कानून में सरकार की ओर से लाया गया बदलाव किराएदारों के हक में नहीं जाता। न्यायालय के समक्ष यह परिस्थितियां न होने के कारण न्यायालय ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। इस प्रकार की आशंका से निपटने के लिए विधानपालिका का दरवाजा खटखटाया जा सकता है।
source:bhaskar.com
अब किराएदारों को नहीं निकाल पाएंगे मकान मालिक
Reviewed by naresh
on
Tuesday, May 01, 2012
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