ईसा के दूसरी सदी में ही चीनियों ने कागज का आविष्कार कर लिया था, लेकिन दुनियाभर के लोगों के लिए यह उपयोगी चीज तब तक एक पहेली बनी रही, जब तक सन् 751 में समरकंद के कैदखाने
में बंद चीनी युद्धबंदियों ने अरब के लोगों से कागज बनाने का राज साझा नहीं किया था। इसके बाद से अरब के लोगों ने कागज का उपयोग बड़े पैमाने पर शुरू किया, साथ ही इसके बारे में बाकी दुनिया
को भी बताया।
तत्कालीन भारत के सिंध इलाके में जब अरब के लोग आए तो अपने साथ कागज लेकर आए और यहीं से कागज का इस्तेमाल भारत में भी होना शुरू हुआ। 1417-67 ई. के दौरान सुल्तान ज़ैनुल
आबेदीन के संरक्षण में भारत का पहला कागज उद्योग कश्मीर में विकसित हुआ।
उच्च गुणवत्ता के कारण यहां का कागज दुनियाभर में मशहूर हुआ। बाद के दिनों में पंजाब के सियालकोट (अब पाकिस्तान) में, अवध के जौनपुर में, बिहार के बिहारशरीफ और गया में, बंगाल के
हुगली में, गुजरात के अहमदाबाद, खंबत और पाटन में व दक्षिण भारत के औरंगाबाद और मैसूर में बड़े पैमाने पर कागज उद्योग का विकास हुआ। कागज आज हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका
है। कागज के आविष्कार से पहले लिखने के लिए पत्थर, ताड़ पत्र, कपड़े के टुकड़े आदि का प्रयोग किया जाता था।
source:-http://www.bhaskar.com/article/
में बंद चीनी युद्धबंदियों ने अरब के लोगों से कागज बनाने का राज साझा नहीं किया था। इसके बाद से अरब के लोगों ने कागज का उपयोग बड़े पैमाने पर शुरू किया, साथ ही इसके बारे में बाकी दुनिया
को भी बताया।
तत्कालीन भारत के सिंध इलाके में जब अरब के लोग आए तो अपने साथ कागज लेकर आए और यहीं से कागज का इस्तेमाल भारत में भी होना शुरू हुआ। 1417-67 ई. के दौरान सुल्तान ज़ैनुल
आबेदीन के संरक्षण में भारत का पहला कागज उद्योग कश्मीर में विकसित हुआ।
उच्च गुणवत्ता के कारण यहां का कागज दुनियाभर में मशहूर हुआ। बाद के दिनों में पंजाब के सियालकोट (अब पाकिस्तान) में, अवध के जौनपुर में, बिहार के बिहारशरीफ और गया में, बंगाल के
हुगली में, गुजरात के अहमदाबाद, खंबत और पाटन में व दक्षिण भारत के औरंगाबाद और मैसूर में बड़े पैमाने पर कागज उद्योग का विकास हुआ। कागज आज हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका
है। कागज के आविष्कार से पहले लिखने के लिए पत्थर, ताड़ पत्र, कपड़े के टुकड़े आदि का प्रयोग किया जाता था।
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कैसे आया भारत में कागज
Reviewed by naresh
on
Sunday, February 19, 2012
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