एक छोटे से कस्बे में एक व्यक्ति ने शराब की दुकान खोलने की योजना बनाई। जो जगह उसने दुकान के लिये चुनी वो एक मंदिर के सामने थी,इसलिये मन्दिर के पुजारी और मन्दिर की स्मिति के लोगों ने इसका विरोध करना शुरु कर दिया। इसके विरोध में उन्होने मन्दिर में यज्ञ करना शुरु कर दिया और भगवान से प्रार्थन और दुआयें मांगने का काम शुरु कर दिया कि ये दुकान बनने से पहले ही नष्ट हो जाये।
समय के साथ दुकान का काम और यज्ञ दोनो चलते रहे।
जब दुकान काम लगभग पूरा होने ही वाला था,ठीक उससे कुछ् दिन पहले अचानक शराब की दुकान पर बिजली गिरी और दुकान पूरी तरह नष्ट हो गयी।
इससे पह्ले कि मन्दिर की स्मिति के लोग खुशियां मनाते,दुकान के मालिक ने अदालत में जाकर सब पर मुक्द्द्मा दाखिल कर दिया और उन पर आरोप लगाया कि ये सब मन्दिर के पुजारी और मन्दिर की स्मिति के लोगों के यज्ञ करने और दुआओं कि वजह से हुआ।
लेकिन मन्दिर के पुजारी और मन्दिर की स्मिति के लोगों ने अदालत में बयान दिया कि उनके यज्ञ करने और दुआओं का दुकान के नष्ट होने का कोई सम्बध नहीं है। दुआओं का कोइ असर नहीं होता है।
अदालत के नयायधीश ने सारे बयान सुने और कहा कि मुझे समझ नहीं आ रहा कि इस लडाई को कैसे सुल्झाया जाये और कहा , " दुकान के मालिक को दुआओं पर पूरा विश्वास है और मन्दिर के पुजारी और मन्दिर की स्मिति के लोगों को इस पर विश्वास नहीं है ''।
मन्दिर और शराब की दुकान
Reviewed by naresh
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Sunday, February 26, 2012
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